सलोनी का प्यार (उपन्यास)लेखनी कहानी -17-Jan-2022
सलोनी का प्यार ( भाग-1)
ऐसा जरूरी तो नहीं कि हर कहानी की नायिका खूबसूरत ही हो। रंग गोरा और नैन नक्श सुन्दर ही हो और कद काठी सब अच्छा ही हो ,जैसा अधिकतर कहानियों में होता है या फिर पढ़ने लिखने में ही बहुत होशियार हो। गीत संगीत नृत्य में ही माहिर हो। सजने संवरने का शौक हो...
ऐसा कुछ नहीं है हमारी इस कहानी 'वो झल्ली सी लड़की का अनोखा प्यार' की नायिका सलोनी उर्फ सल्लू में। उसकी एक झलक देख लोग अपना मुंह फेर लेते हैं, इतनी बदसूरत है वो। पर ऐसा नहीं था कि उससे कोई दोस्ती नहीं रखना चाहता था,कई सहेलियां और दोस्त थे उसके बस अपने मतलब के लिए। वो सबकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहती पर उससे बात बहुत कम लोग ही करते। उसके परिवार वाले भी उसे हीन दृष्टि से ही देखा करते।बड़ी बहन और छोटे भाई को शर्म आती उसे अपनी बहन बताने में।
फिर भी बिंदास है हमारी सल्लू दीन दुनिया की परवाह किए बिना जो मन में आता है वो करती है!
जिस काम को ठान लेती है उसे पूरा करके ही रहती है।
लगता है ऊपर वाले से डायरेक्ट कनैक्शन है उसका तभी तो उसकी लगभग हर प्रार्थना स्वीकार कर लेते हैं भगवान और उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।
लड़कियों की तरह सजने और सुंदर कपड़े ,हेयर स्टाइल कुछ ना भाता है उसे।
उसकी दोस्ती तो बचपन से स्लेट से जो हुई कॉलेज टाइम तक उसके बैग में स्लेट रहता ही था। फिर ब्लैक बोर्ड से नाता जुड़ा।
काले पर सफेद से लिखना उसे बड़ा जचता। उसकी जिंदगी भी तो ब्लैक एंड व्हाइट ही थी। रंग भले ही उसका कुछ ज्यादा ही स्यावला था पर मन से बहुत सलोनी है हमारी नायिका सलोनी।
सलोनी के सुपर हीरों हैं उसके पापा । पर पापा जब उसे दुनिया की सबसे सुंदर परी कहते हैं तो सीसे के पास खड़ी हो वो पापा की नज़र से खुद को देखती है और अपने राजकुमार के सपनों में खोई रहती है। इस दुनिया में कोई तो होगा जो उसे प्यार करेगा। कभी उसने खुद को हीन भावना से ग्रसित ना होने दिया।
अपने हम उम्र के बच्चों को देखती तो सोचती वो क्यों सबसे अलग है। सब कुछ तो दिया है भगवान ने उसे भी,दो हाथ, दो पैर ,दो आंखें,दो कान सब कुछ तो है....पर ये काला रंग,चपटी हुई नाक, बाहर को निकले दांत, दुबला पतला सा शरीर छोटा कद,, उसे सबसे अलग करता है। पापा उसे समझाते हुए कहते," तूं सबसे खास है सलोनी, तेरे मन की सुंदरता को जो देख नहीं पाता उसकी ही आंखें कमजोर हैं।"
भाई की पुरानी टी-शर्ट और लंबी सी स्कर्ट जो उसकी मम्मी कभी पुरानी साड़ी से तो कभी पेटीकोट के कपड़े से बना देती। उन कपड़ों को बड़े शान से पहन गली में जब घूमती तो पड़ोस में रहने वाले राकेश जी कहते , " अरी! ओ झल्लो रानी, कपड़े तो ठंग के पहना कर। ये क्या झल्ली सी बन कर रहती है, कपड़े तो देखो क्या पहने रहती है ,ना कभी बाल भी ठीक से झारती है।
देख तेरी उम्र की लड़कियां कितना ठंग से रहती है। यही उम्र तो है अच्छे अच्छे कपड़े पहनने और से संवर कर रहने की।"
बिना कुछ कहे सल्लो अपने दांत दिखा हंसती हुई निकल जाती उनके सामने से।
उसकी सबसे पसंदीदा ड्रैस थी उसकी बहन मानसी की फ्रॉक जो उसे छोटी हो गई तो सलोनी को मिल गई। कहीं भी शादी या पार्टी में जाना होता और अपने हर जन्मदिन पर वो वहीं ब्लैक फ्रॉक जिस पर वाईट जैकेट अटैच थी पहन तैयार हो जाती। उसकी मम्मी राधिका ने ही अपने पति सोहन जी यानि हमारी सल्लू के पापा की पुरानी पैंट शर्ट से बनाया था।
पापा के साथ उनके दोस्त गोयल जी के घर अक्सर जाती। उनका छोटा बेटा राहुल उसकी ही उम्र का था और वो भी उसके ही साथ पहली से पांचवीं तक उसी के सैक्शन में था । उसके साथ खेलने उससे बातें करने के लिए ही तो जाया करती थी पापा के साथ अंकल के घर।पर राहुल उसे चिढ़ाते हुए कहता, "कल्लो माई मेरे पास मत आना नहीं तो मैं भी तेरे जैसा काला और बदसूरत हो जाऊंगा।"
आंखों में आंसू तो आ जाते राहुल की बात सुनकर पर उसे पापा की वो बात हमेशा याद रहती, जो मेरी बेटी के सुंदर मन को नहीं देख सकता उसकी आंखें कमजोर है।
सलोनी गोयल अंकल से कहती, " अंकल राहुल को चश्मा लगवा दीजिए,इसे कुछ दिखाई नहीं देता।मुझे बदसूरत कहता है। आंखें खराब हो गई है इसकी।"
गोयल जी हंसते हुए कहते," तुम बिल्कुल ठीक कहती हो , तुम सा सुंदर तो पूरी दुनिया में कोई नहीं है," और हमारी सलोनी को गोदी में उठा लेते ।
राहुल को ये देख बहुत गुस्सा आता, इस सलोनी को ही अपनी बेटी बना लो।
एक दिन राहुल स्कूल से घर वापस आया ही नहीं। रोज शाम की तरह सलोनी अपने पापा के साथ राहुल की एक झलक पाने और उसके साथ खेलने के लिए ही तो गई थी राहुल के घर। पर ये क्या वहां तो आंटी जी खूब रो रही थी,अंकल भी बहुत उदास और परेशान थे,पता नहीं पापा से क्या बातें कर रहे हैं सोचती हुई सलोनी की नज़रे चारों तरफ राहुल को ही खोज रही थी।
क्रमशः
सलोनी से क्या राहुल दोस्ती करेगा और उसके बचपन का यह पहला प्यार उसे कभी मिल पाएगा जानने के लिए जुड़े रहिए सलोनी की कहानी 'वो झल्ली सी लड़की का अनोखा प्यार' से।
लेखिका : कविता झा'काव्या कवि'
सर्वाधिकार सुरक्षित
# लेखनी
# लेखनी धारावाहिक लेखन प्रतियोगिता
17.01.2022
Seema Priyadarshini sahay
17-Jan-2022 04:54 PM
बहुत सुंदर👌👌
Reply
Rudrakshii
17-Jan-2022 02:28 PM
Awesome
Reply
Smiley 😍
17-Jan-2022 02:09 PM
Outstanding
Reply